गुजरात के अहमदाबाद की साइबर क्राइम सेल ने एक राशन रैकेट का पर्दाफाश किया है. इसमें फर्जी तरीके से सत्यापित किए गए कागजों के सहारे राशन की चोरी हो रही थी. साइबर क्राइम सेल ने 1100 फर्जी फिंगरप्रिंट बरामद किए हैं. इन्हें सिलिकॉन जैसे किसी मटेरियल से बनाया गया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस रैकेट से सुरक्षा संबंधी कई सवाल खड़े हो गए हैं. रैकेट चलाने वालों ने जिस तरीके को इस्तेमाल किया, उससे वह ऐसे किसी भी डॉक्यूमेंट या डेटा को चुरा सकते हैं, जिसमें बायो मैट्रिक्स की पहचान जरूरी होती है.
रिपोर्ट के अनुसार, राशन की दुकान चलाने वाला मालिक फिंगर प्रिंट और डेटा को इस रैकेट को चलाने वाले मास्टर माइंड भारत चौधरी को देता था. भारत गुजरात के बनासकांठा का रहने वाला है. दुकान के मालिक को एक नाम के लिए 1000 रुपए मिलते थे. भारत इन फिंगर प्रिंट को स्कैन कर लेता था. इसके बाद इन फिंगर प्रिंट के सहारे गरीबों को दिए जाने वाला राशन चुरा लिया जाता था. इसके बाद अनाज और दूसरा सामान की काला बाजारी होती थी. राशन की दुकान के मालिक को सामान से हुई कमाई का हिस्सा भी मिलता था.
पुलिस ने भारत चौधरी समेत उसकी गैंग के 40 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. कहा जा रहा है कि चौधरी के पास 2500 लोगों फिंगरप्रिंट मौजूद हैं. साइबर क्राइम सेल के डीसीपी राजदीप सिंह झाला का कहना है कि ये एक बड़ा घोटाला है जो हरियाणा जैसे कई राज्यों में फैला हुआ है. उचित मूल्य की दुकान का मालिक यह न केवल फिंगरप्रिंट कास्ट का दुरुपयोग कर सकते है, बल्कि यह राष्ट्रीय हित के लिए विनाशकारी हो सकता है. आप कल्पना कर सकते हैं कि आपके फिंगर प्रिंट किसी और के पास हैं और वह उसके सहारे कुछ भी कर सकता है. इस घोटाले से जुड़े कुछ और लोगों की गिरफ्तारी जल्द होगी.